Thursday 7 January 2016

काम के साथ आंखों का रखें खयाल


कंप्यूटर के किरणों से आखों में थकान और दर्द होता है।
कंप्यूटर के स्क्रीन की लाइट को अधिक बिलकुन न रखें।
काम के दौरान बीच-बीच में पलकों को झपकाते रहिए।
भरपूर नींद लें और नियमित आंखों की जांच कराते रहें।

वर्तमान दिनचर्या में कंप्यूटर के बिना काम करना शायद असंभव है, लोग घंटों कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं। घंटों कंप्यूटर के सामने बैठने के कारण इससे निकलने वाली नीली रोशनी से सबसे अधिक नुकसान आंखों को होता है। इसके कारण आंखों की रोशनी कम होती है। इसके अलावा लगातार कम्प्यूटर पर काम करने से आंखों में थकान, धुंधला दिखाई देना, सिर में दर्द और आंखों के आसपास काले घेरे की समस्या आम बात है। ड्राई आई सिंड्रोम भी घंटों कंप्यूटर के प्रयोग के कारण होती है। इसलिए काम के साथ-साथ आंखों का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

अंधेरे में काम न कर:-

केंकंप्यूटर पर काम कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि जिस कमरे में आप हों वहां पर अंधेरा या कम रोशनी न हो।
आपके कमरे की रोशनी कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी से कम न हो। अगर कमरे में अंधेरा होगा या कमरे की रोशनी कम होगी तो कंप्यूटर से निकलने वाली किरणें आंखों को अधिक प्रभावित करेंगी।कंप्यूटर से आंखों की दूरी  काम करते वक्त अपनी कुर्सी की ऊंचाई को कम्प्यूटर के हिसाब से ही रखें। कंप्यूटर को अपनी आंखों से 30 सेमी की दूरी पर रखें।

पलकों को झपकाते रहें:-

काम के दौरान पलकों को झपकाते रहें, इससे आंखों की नमी बरकरार रहेगी और आंखों सूखेंगी नहीं। लंबे समय तक पलक नहीं झपकाने से आंखों से पानी बहने लगता है।


काम के बीच ब्रेक लें:-

अगर आप लगातार कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें। कोशिश करें कि 30-40 मिनट के बाद अपनी नजर को दूर किसी वस्तु पर ले जायें, अपने से लगभग 20 फिट की दूरी पर दूसरी वस्तु को देखें। एक घंटे तक काम करने के बाद 10 मिनट के लिए कंप्यूटर की स्क्रीन बंद कर दें।

हेल्दी स्नैक लेते रहें :-

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन बहुत जरूरी है। खाने में विटामिन ए, ई और सी को जरूर शामिल करें। ये आंखों के लिए आवश्यक हैं। दूध और दूध से बने पदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडा, पपीता, गाजर विटामिन ए के अच्छे स्रोत हैं, इनको अपने आहार में शामिल करें। काम के बीच में भी स्वस्थ और विटामिन युक्त हेल्दी स्नैक लेते रहें।आंखों के व्यायामकाम के बीच में आंखों में थकान हो जाती है, इससे बचाने के लिए काम के दौरान ही आंखों के व्यायाम कीजिए। अपनी हथेली और उंगली से आंखों को बंद करके उनपर मालिश करें। बीच-बीच में आंखों की पुतलियों को चारों ओर घुमाएं। इससे आंखों को आराम मिलता है। बीच-बीच में पानी के छींटे भी मार सकते हैं।आंखों को स्वस्थ रखने के लिए भरपूर नींद जरूरी है, कम से कम आठ घंटे की नींद लें, आंखों में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों का ही प्रयोग करें। अपनी आंखों की नियमित रूप से जांच कराएं।

लेसिक आई सर्जरी के फायदे और नुकसान

लेसिक आई सर्जरी से दूर होती हैं आंखों की समस्यायें। अन्य सर्जरी की तुलना में लेसिक सर्जरी कम खतरनाक।यह आसान है और मात्र 30 मिनट में ही हो जाती है। इसे एक बार कराने के बाद दोबारा नहीं करा सकते हैं।आंखें कुदरत की ओर से दी गई सबसे कीमती उपहार हैं। ये जितनी कीमती हैं, उतनी ही संवेदनशील भी हैं। इसलिए तो लोग आंखों का विशेष ख्याल रखते हैं और थोड़ा भी सरदर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करवाते हैं। पहले लोग आंखों की समस्या से निज़ात पाने के लिए चश्मा पहनते थे। लेकिन चश्मा एक बार चढ़ गया तो जिंदगी भर लगाना पड़ता है।

लेकिन विकसित होती तकनीक ने आंखों के उपचार को आसान कर दिया है। आजकल डॉक्टर चश्मा लगाने वाले को लेसिक सर्जरी करने की हिदायत देते हैं और लोग लेसिक सर्जरी काफायदा भी उठा रहे हैं। लेसिक सर्जरी कराने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

आइए इस लेख में लेसिक सर्जरी के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं। क्या है लेसिक सर्जरी  जो लोग चश्मा पहनते हैं और जिनका पावर -1 से -10 के बीच है, उन्हें तुरंत आंखों की लेसिक सर्जरी करवानी चाहिए। जांच में देख लें कि आपके कॉर्निया की थिकनेस कैसी है। जितनी अधिक थिकनेस होगी इस सर्जरी का फायदा उतना अधिक होगा। साथ ही लेसिक सर्जरी की सबसे अच्छी बात है कि ये अन्य दूसरी सर्जरी की तुलना में ज्यादा आसान और बेहतर है। यह सस्ती होती है और इसमें कॉर्निया को नुकसान पहुंचने का खतरा न के बराबर होता है। जबकि दूसरी सर्जरी में कॉर्निया पर खतरा ज्यादा रहता है। लेसिक सर्जरी के फायदे लेसिक सर्जरी 30 मिनट या उससे कम समय में हो जाती है।

साथ ही यह सर्जरी आंखों के लिए काफी प्रभावी और कारगार मानी गई है, जिस कारण अधिकतर लोग आंखों के लिए लेसिक सर्जरी करने की हिदायत देते हैं। 92-98% लोग आंखों की समस्या से निजात पाने के लिए लेसिक सर्जरी का ही सहारा लेते हैं, क्योंकिये आंखों की दृष्टि के लिए काफी फायदेमंद होती है और किसी भी अन्य सर्जरी की तुलना में आसान और किफायती होती है। लेसिक सर्जरी दृष्टि से जुड़ी सभी समस्याओं और खतरों को काफी हद तक दूर कर देती है।

लेसिक सर्जरी के नुकसानलेसिक सर्जरी आंखों के सबसे संवेदनशील हिस्से में की जाती है और इसे दोबारा नहीं किया जा सकता है। लेसिक सर्जरी के कुछ दिनों के बाद ही लोगों को पढ़ने के लिए तो चश्मे की जरूरत पड़ती ही है। सबसे बड़ा खतरा लेसिक सर्जरी का ये है कि, ये आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी का हिस्सा नहीं होता। मतलबकी इस सर्जरी के दौरान अगर आपकी आंखों को कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी न डॉक्टर की और न इंश्योरेंस विभाग की होगी।

आंखों को स्वस्थ रखने के आसान उपाय

आंखों की सेहत के लिए खान-पान पर ध्यान दें।
आंखों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन-ए युक्त आहार लें।
आंखों का मेकअप अच्छी क्वालिटी का प्रयोग करें।समय-समय पर आंखों का चेकअप जरूर कराएं।

सुंदर आंखें इंसान की सुंदरता में चार चांद लगाती हैं क्योंकि इन्हीं अनमोल आंखों से वह कुदरत के खूबसूरत नजारों को देख पाता है। इसीलिए जरूरी है आंखों को बीमारियों से बचाना।

यदि समय-समय पर आंखों की भी देखभाल की जाए तो काफी हद तक इसमें पैदा होने वाली समस्याओं पर रोक लगाई जा सकती है। साथ ही आंखों को बीमारियों से बचाने के लिए आंखों की सफाई और आंखों का व्यायाम करना जरूरी है।

आंखों की देखभाल के लिए विटामिन-ए युक्त भोजन भी करना चाहिए जो आंखों की रोशनी तेज करता है और आंखों की समस्याओं से व्यक्ति को बचाता है। आइए जानें आंखों की सेहत के नुस्खों के बारे में।नियमित रूप से करें आंखों की सफाई

आंखों के प्रति लापरवाही बरतने से आंखों से पानी आना, जलन, खुजली, आंखों का लाल होना, पीलापन आना, सूजना, धुंधला दिखने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं से आंखों को बचाने के लिए नियमित रूप से आंखों की सफाई करनी चाहिए।

इसके लिए आप आंखों को दिन में 3-4 बार ठंडे पानी से अच्छीं तरह से धोएं।आहार में लें पोषक तत्वआंखों को बीमारी से बचाने के लिए विटामिन-ए और विटामिन के से भरपूर भोजन लेना चाहिए। दूध, मक्खन, गाजर, टमाटर, पपीता, अंडे, शुद्ध घी और हरी साग-सब्जियों इत्यादि का सेवन करना चाहिए। इसके सुबह उठकर पानी पीना, पूरे दिन में 8-9 गिलास पानी—पीना आंखों के लिए हितकर होता है जो शरीर में बढ़ते हुए विषैले पदार्थों को नष्ट करता है।भरपूर नींद लेंआंखों को आराम देने के लिए पर्याप्त आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। और साथ ही आंखों के आसपास की त्वचा को पुष्ट करने के लिए बादाम के तेल से आंखों के नीचे हल्के हाथ से मालिश करनी चाहिए। इससे आंखों के नीचे काले घेरे भी दूर होते हैं।

इसके अलावा आंखों के नीचे एंटी रिंकल क्रीम लगानी चाहिए।एंटी रिंकल क्रीम में मौजूद तत्व होते है विटामिन सी और ग्रीन टी, जो आंखों के काले घेरे बनने से रोकने में लाभकारी हैकंप्यूटर से उचित दूरीआंखों की सेहत के लिए जरूरी है कि उचित प्रकाश में ही बैठकर काम किया जाएं, फिर चाहे आप कंप्यूटर परकाम कर रहे हो या फिर पढ़ाई। बहुत नजदीक से निरंतर किसी चीज को देखने या ज्यादा देर तक कम्यूटर के सामने बैठने के कारण आंखों में दर्द की शिकायत हो सकती है। इसलिए निरंतर आंखों पर जोर न डालें। बीच-बीच में अवकाश लेते रहें।

समय-समय पर आंखों का चेकअप करायें :-

आंखों में कोई समस्या, हो या न हो लेकिन समय-समय पर आंखों का चेकअप कराना चाहिए। खासकर डायबिटीज के रोगियों को समय-समय पर आंखों का चेकअप जरूर करवाना चाहिए क्योंकि डायबिटीज से आंखों पर नकारात्मक असर पड़ता है और लंबे समय तक डायबिटीज रहने पर अंधापन भी हो सकता है।अच्छी क्वालिटी के उत्पादों का इस्तेमालआंखों को धूल-मिट्टी और धूप से बचाने के लिए बाहर निकलते समय आंखों पर शेड्स या चश्में का इस्तेमालकरना चाहिए। साथ ही आंखों के मेकअप के लिए अच्छी क्वालिटी के उत्पादों का ही इस्तेमाल करें।

आंखों पर जरूरत के हिसाब से मेकअप करना चाहिए, यानी काजल, सुरमा जैसी चीजें लगाने से बचना चाहिए।अन्य उपायआंखों में थकान होने पर गुलाब जल में रूई भिगोकर आंखों पर रखने से आंखों को राहत मिलती है।आंखों में दर्द होने पर दोनों हथेलियों को रगड़कर कुछ देर आंखों पर मलना अच्छा रहता है।कंप्यूटर पर काम करते समय अपनी कुर्सी को कंप्यूटर की ऊंचाई के हिसाब से रखें। जिससे आंखों पर बहुत अधिक जोर न पड़े और टीवी कभी अंधेरे में न देखें, इससे आंखों पर बहुत जोर पड़ता है।रात को सोने से पहले आंखों का मेकअप ध्यानपूर्वक हटाएं।

मोतियाबिंद से संबंधी मिथक


मोतियाबिंद आखों की बीमारी है, जिसमें आंखों के सामने धुंधलापन छा जाता है। मोतियाबिंद को लेकर लोगों में काफी मिथक हैं। मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में हो सकता है। मोतियाबिंद में रंगों को पहचानने में दिक्कत होती है।

बार-बार चश्मा बदलना पडता है। उम्रदराज लोगों को यह बीमारी ज्यादा होती है। आइए हम आपको मोतियाबिंद से संबंधित मिथक और तथ्यों के बारे में बताते हैं। मिथक –मोतियाबिंद आंख के ऊपर होता है। तथ्य -मोतियाबिंद आंख के लेंस का धुंधला हो जाना है। लेंस आंख के भीतर होती है ना कि उसकी सतह पर। आंख का लेंस पानी और प्रोटीन तंतुओं से बना होता है। जब यह लेंस साफ रहता है तब प्रकाश उसे क्रॉस करके बाहर निकलता है। लेकिन, उम्र बढने के साथ-साथ प्रोटीन तंतु आपस में लिपट कर गुच्छों  में बदल जाते हैं और लेंस के कुछ भागों को धुंधला कर देते हैं। जिसके कारण नजर कमजोर हो जाती है।

मिथक –मोतियाबिंद को लेजर से निकाला जा सकता है।

तथ्य -मोतियाबिंद आंखों के अंदर होता है जिसे लेजर से नहीं निकाला जा सकता है। इसमें प्राकृतिक लेंस को तोडकर निकाल लिया जाता है। उसके बाद उसकी जगह पर आईओएल नामक एक कृत्रिम लेंस लगाया जाता है।
मिथक –इलाज के बाद मोतियाबिंद वापिस फिर से बढ जाते हैं। तथ्य -यह सही नहीं है। पर हां, मोतियाबिंद के रोगी को कभी-कभी इलाज के बाद द्वितीयक मोतियाबिंद हो सकता है। यह तब होता है जब नए लेंस की झिल्ली धुंधली पड जाती है। इससे आंखों की रोशनी कम हो जाती है और देखने में दिक्कत होती है। मिथक –मोतियाबिंद केवल बूढे लोगों को होता है। तथ्य -मोतियाबिंद 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में होने वाली आम बीमारी है। लेकिन यह कम उम्र के लोगों को भी हो सकता है। दरअसल, यह मधुमेह, ग्लाउकोमा और दवाओं का प्रयोग करने के कारण होता है। यह जन्मजात भी हो सकता है। मिथक –मोतियाबिंद की चिकित्सा खतरनाक होती है। तथ्य -मोतियाबिंद की चिकित्सा सबसे सुरक्षित है और लगभग 95 रोगियों को इलाज के बाद इसका फायदा होता है। लेकिन इलाज में जोखिम हो सकता है, इसलिए इसका इलाज कराने से पहले कुशल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। मिथक –इलाज के बाद मोतियाबिंद को ठीक होने में कई महीने लग जाते हैं। तथ्य -कई मामलों में मोतियाबिंद के इलाज के बाद तुरंत फर्क दिखता है। लेकिन कुछ लोगों में इलाज के बाद कई महीने के बाद सुधार आता है। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आप अपनी सामान्य जीवनशैली अपना सकते हैं।

मिथक –मोतियाबिंद एक आंख से दूसरी आंख में फैल सकता है।  तथ्य -जी नहीं, मोतियाबिंद एक आंख में या दोनों आंखों में हो सकता है। लेकिन यह एक आंख से दूसरी आंखमें फैलता नही है।

मिथक –मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंखों पर दबाव डालने वाले काम जैसे – पढाई और सिलाई नहीं करना चाहिए। तथ्य –मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद आपको कई सावधानियां बरतनी पडती हैं। ऑपरेशन के बाद आंखों का ध्यान रखना पडता है। आंखों पर दबाव डालने वाले कार्यों को लगातार कई घंटों तक करने से परहेज करना चाहिए। आंखों का धुंधलापन होना, एक उम्र की प्रक्रिया है और इसे टाला नहीं जा सकता है। आप जीवनशैली में परिवर्तन लाकर मोतियाबिंद के जोखिम को कम करत सकते हैं।

क्या है मोतियाबिंद

मोतियाबिंद आंखों में होने वाला रोग है।
इसमें आंखों की रोशनी कम होने लगती है।
कहने को यह बुजुर्गों की बीमारी है, लेकिन किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकती है।

मोतियाबिंद आंखों में होने वाला एक ऐसा विकार है, जिसकी अगर अनदेखी की जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है।क्या है मोतियाबिंदमोतियाबिंद आंखों में होने वाला रोग है जिससे रोगी की आंखों की रोशनी कम होने लगती है और धुंधला दिखाई देने लगता है। आंखों का यह रोग ज्यादातर बढती उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाता है। लेकिन कई बार यह युवाओं में और बच्चों में भी हो सकता है। कुछ बच्चों में यह जन्मजात होता है।

मोतियाबिंदजरूरी नहीं है कि दोनों आंखों में हो यह एक आंख में भी हो सकता है। वैसे, मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होता है और इसमें किसी तरह का दर्द नहीं होता। अगर शुरुआती अवस्था में मोतियाबिंद का इलाज कराया जाये तो रोगी इस समस्या से निजात पा सकता है। आंखों की कोई भी समस्या होने पर इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। मोतियाबिंद के शिकार लोगों में कई तरह के मिथक फैले हुए हैं। मोतियाबिंद से बचने के लिए लोगों को इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है।

कैसे होता है मोतियाबिंद:-

मोतियाबिंद क्या है इससे समझने के लिए पहले आंखों की संरचना को जानना जरूरी है। हमारी आंखों की पुतली के पीछे एक लेंस होता है। पुतली पर पड़ने वाली लाइट को यह लेंस फोकस करता है और रेटिना पर ऑब्जेक्ट की साफ तस्वीर बनती है। रेटिना से यह तस्वीर नर्व तक और वहां से दिमाग तक पहुंचती है। आंखकी पुतली के पीछे मौजूद यह लेंस पूरी तरह से साफ होता है, ताकि इससे लाइट आसानी से पास हो सके। कभी-कभी इस लेंस पर कुछ धुंधलापन (क्लाउडिंग) आ जाता है, जिसकी वजह से इससे गुजरने वाली लाइट ब्लॉक होने लगती है। इसका नतीजा यह होता है कि पूरी लाइट पास होने पर जो ऑब्जेक्ट इंसान को बिल्कुल साफ दिखाई देता था, अब कम लाइट पास होने की वजह से वही ऑब्जेक्ट धुंधला नजर आने लगता है। लेंस पर होनेवाले इसी धुंधलेपन की स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है।

मोतियाबिंद से संबंधी तथ्य  :-

अगर सही समय पर इसका इलाज करवाया जाए तो, मोतियाबिंद पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
मोतियाबिंद को निकालने के पहले उसका पका होना जरूरी नहीं है।केवल बूढ़े लोगों को ही मोतियाबिंद नहीं होता।
यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
मोतियाबिंद की शल्यचिकित्सा आसान होती है।मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा से ठीक होने में बहुत कम समय लगता हैं।
मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा के बाद चश्मे की जरूरत होती हैमोतियाबिंद एक आंख से दूसरी में नही फैलता।

लीवर की इन 4 समस्याओं से रहें बचकर


खून साफ करने और विषैले पर्दाथों परिष्कृत करता है लीवर।
लीवर विटामिन और मिनरल को करता है स्टोर।
हेपेटाइटिस है लीवर का सबसे सामान्य बीमारी।
शराब का अधिक सेवन करता है लीवर को बीमार।

लीवर हमारे शरीर के सबसे बड़े अवयवों में से एक है और शायद संक्रमण का खतरा भी इसे ही सबसे अधिक होता है। क्योंकि लीवर कई काम करता है इसलिए उसके कई बीमारियों से प्रभावित होने का खतरा भी ज्यादाहोता है।लीवर खून साफ करने के साथ ही शरीर से विषैले पर्दाथों को बाहर निकालने के साथ-साथ जरूरी विटामिन औरमिनरल के अवशोषण का भी काम करता है। कई बार अपने काम के दौरान लिवर कई बेहद जहरीले पर्दाथों के संपर्क में आ जाता है। और इससे उसकी सेहत और कार्यक्षमता पर असर पड़ना लाजमी है। इनके आलावा लीवर पाचन क्रिया के लिए जरूरी एंजाइम्स का निर्माण करने और विटामिन बी१२, ग्लूकोज और आयरन आदि को जमा करने का भी काम करता है। जानकार मानते हैं कि अपने काम के दौरान लीवर को कई प्रकार से संक्रमण का खतरा होता है, जिससे बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।

हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के साथ ही फैटी लीवर डिजीज और लीवर सिरोसिस आदि सामान्य बीमारियां हैंजो लीवर को प्रभावित करती हैं। ऐसे में इन बीमारियों से बचने के तरीकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।हेपेटाइटिस ए और ईदूषित अथवा संक्रमित भोजन इस इन बीमारियों का कारण हो सकता है। दूषित भोजन से लीवर को बहुत ज्यादा विषैले पर्दाथों का सामना करना पड़ता है। इससे उसे बुरी तरह नुकसान पहुंच सकता है। इन बीमारियों के कीटाणु संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से भी हो सकती हैं। इन बीमारियों से बचने का सबसेअच्छा तरीका यह कि आप अपने खानपान और साफ-सफाई का खास खयाल रखें। यह बात भी सही है कि आप खाने की हर चीज पर नजर नहीं रख सकते, लेकिन फिर भी जितना हो सके आपको इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिये।हेपेटाइटिस बी, सी और डीसंक्रमित भोजन के सेवन, परिवार में मौजूद संक्रमित व्यक्ति, यौन संबंध और शिशु को जन्म देना आदि के कारण हेपेटाइटिस बी, सी और डी हो सकता है। दवा का सही प्रकार से सेवन, सुरक्षित यौन संबंध और इस्तेमाल की गई सुइयों, रेजर या टूथब्रश का दोबारा प्रयोग न करने से आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं।फैटी लीवर डिजीजइस श्रेणी में आप कई बीमारियों को रख सकते हैं।

यह बीमारी एल्कोहोलिक और नॉन-एल्कोहोलिक पर्दाथों से प्राप्त होने वाली वसा के संचय सो होती है। वसा का अधिक जमाव लीवर में सूजन का कारण बन सकता है। कई मामलों में इसके असर को कम किया जा सकता है। लेकिन, यहां यह बात भी ध्यान रखनी चाहिये कि एक बार यह रोग होने के बाद लीवर फिर दोबारा अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता। डायबिटीज के कारण भी लीवर को यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको अपनी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिये। इसके साथ ही सही ईलाज और अपने वजन को काबू में रखकर भी आप इस बीमारी के खतरेको कम कर सकते हैं।लिवर सिरोसिसयह गंभीर बीमारी है जिसके असर को पलटा नहीं जा सकता। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण शराब का अधिक सेवन होता है। शराब और अल्कोहल युक्त पेय का अधिक सेवन करने से लीवर की कोशिकायें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे आगे चलकर हेपेटाइटिस हो सकता है।

अल्कोहल के सेवन को कम कर या बिलकुल ही बंद कर आप इस बीमारी के गंभीर परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि लीवर से जुड़ी बीमारियों का कोई ईलाज नहीं होता क्योंकि आमतौर पर इसके लक्षण काफी देर बाद नजर आते हैं। बहुत ही कम मामलों में इस बीमारी के लक्षण शुरुआती समय में ही नजर आते हैं और तब इनका ईलाज किया जा सकता है। लीवर से जुड़ी बीमारियों से दूर रहने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप इन बीमारियों से जहां तक हो सके दूर रहे।

ये अनोखा तेल चेहरे के दाग-धब्बों को करेगा दूर

कई जतन के बाद भी नहीं जाते चेहरे के दाग-धब्बे।बढ़ते प्रदुषण से बढ़ रहे हैं डार्क पैच और पिगमेंटेशन।इन मुश्किलों का समाधान छुपा है रोज़हिप तेल में।ड्राय स्कीन के लिए सबसे अच्छा मॉश्चराइजर है।चेहरे के दाग-धब्बों को छुड़ाने के लिए लोग ना जाने क्या-क्या जतन करते हैं लेकिन ये दाग हैं कि छूटते ही नहीं। अगर आप भी सारे जतन करके थक गए हैं, तो ये अनोखा तेल अपनाइए और अपने चेहरे के दाग-धब्बों (और पढ़ें...दाग-धब्बों के कारण) से मुक्त कीजिए।

हां-हां... चौंकिए मत। इस तेल का कुछ नाम भी है। अनोखा तेल तो लोग इसे कॉमन तौर पर कहते है क्योंकि ये काफी अनोखे तरीके से चेहरे के दाग-धब्बों को दूर करता है। इस तेल का नाम है-रोजहिप तेल।चेहरे को दाग-धब्बे से बचा भी लेंगे तो भी बढ़ रहे प्रदूषण से चेहरे को कैसे बचा पाएंगे? सूरज की तेज गर्मी और बढ़ते प्रदुषण ने चेहरे को बहुत सारे डार्क पैचेस, पिग्मेनटेशन, काले धब्बे दिए हैं जिससे निजात पाने के लिए लोग ना जाने कितने घंटे ब्यूटी-पार्लर में बिताते हैं।

अब ये समस्या तो आमबन गई है। ऐसे में इस आम समस्या को आम समझ कर इग्नोर ना करें खासकर तो तब जब इस समस्या का समाधान इस एक तेल में छुपा है।

तेल के फायदे:-

रोजहिप तेल एक विशेष प्रकार का तेल है जिसे के गुलाब के बीज से बनाया जाता है।यह तेल मेडिकल शॉप या किसी भी सूपरमार्केट में आपको आसानी से मिल जाएगा। इस तेल में मौजूद विटामिन ई, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन स्किन से पिग्मेन्टेशन को कम करने में मदद करता है।रोज़हीप तेल का विटामिन ई नए सेल्स के पुनर्जीवन में मदद करता है।इस तेल के इसेंशियल फैटी एसिड्स त्वचा को लचीला बनाते हैं।

इस तेल में मौजूद विटामिन ए स्किन को टोनअप करके और टेक्सचर को बेहतर बनाकर चेहरे को निखारते हैं।अगर चेहरा बहुत अधिक रूखा है तो ये आपके लिएमॉश्चराइज़र का काम करेगा।

इस तरह से करें इस तेल का उपयोग :-

पहले चेहरे को अच्छी तरह से किसी भी क्लेन्ज़र या फेस वॉश से साफ कर लें और चेहरे को सूखने दें।अब चेहरे पर रोज़हीप तेल लगाकर मसाज करें।जब तक चेहरा तेल पूरी तरह से सोख लें उंगली से हल्की तरह से मसाज़ करते रहें।ऐसा रोज रात को सोने से पहले करें और पूरे रात भर तेल को चेहरे में लागने दें।

इससे आपका चेहरा सुबह तक अच्छी तरह से मॉश्चराइज़ हो जाएगा।इस तेल का इस्तेमाल त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही करें।इस्तेमाल से पहले शरीर के किसी भी हिस्से की त्वचा पर चौबीस घंटे इस तेल को लगाकर देख लें कि कहीं आपको इससे एलर्जी तो नहीं हो रही।

Ladka ladki funny joke

लड़का (लड़की से) : तुम्हारी शर्ट फटी हुई है… लड़की : तुम नहीं समझोगे… ये आजकल का फैशन है… लड़का : क्या यार ! साला तुम फाड़ो तो फैशन और हम...