Ntomy funny hindi joke
Mard ka dard joke
पिछले हफ्ते मेरी दाढ़ में दर्द हुआ और मैं जिंदगी में पहली बार दाँतों के डॉक्टर के पास गया। रिसेप्शन में बैठे-बैठे मेरी नजर वहाँ दीवार पर लगी डॉक्टर की डिग्री पर पड़ी और उस पर लिखे डॉक्टर के नाम को पढ़ते ही मानो मुझ पर बिजली गिर पड़ी।
"डॉ. नंदिता प्रधान" यानि, स्कूल के दिनों की हमारी क्लास की हीरोइन। गोरी-चिट्टी, ऊँची-लम्बी, घुँघराले बालों वाली खूबसूरत लड़की।
अब झूठ क्या बोलूँ, क्लास के दूसरे लड़कों के साथ साथ मैं खुद भी उस पर मरता था, अपनी नंदू पर।
मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरा नंबर आने पर मैंने धड़कते दिल से, नंदू के चेम्बर में प्रवेश किया। उसके माथे पर झूलते घुँघराले बाल अब हट चुके थे, गुलाबी गाल अब फूलकर गोल गोल हो गए थे, नीली आँखें मोटे चश्मे के पीछे छुप गयी थीं लेकिन फिर भी नंदू बहुत रौबदार लग रही थी।
लेकिन उसने मुझे पहचाना नहीं। मेरी दाढ़ की जाँच हो जाने के बाद मैंने ही उससे पूछा, "तुम कान्वेंट में पढ़ती थी ना?"
वो बोली, "हाँ"
मैंने पूछा, "10 वीं से कब निकली? 1991 में ना?"
वो बोली, "करेक्ट! लेकिन आपको कैसे मालूम?"
मैंने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "अरे, तुम मेरी ही क्लास में थी।"
फिर
वो
भैंस,
चश्मिश,
हथनी,
मोटी,
भद्दी,
टुनटुन
मुझसे बोली... "सर आप कौन सा सब्जेक्ट पढ़ाते थे?"