Inspired Crow story
सबसे ज्यादा खुश कौन है? – Crow Story In Hindiएक कौआ था जो अपनी जिंदगी से बहुत खुश और संतुष्ट था| एक बार वह एक तालाब पर पानी पीने रुका| वहां पर उसने सफ़ेद रंग के पक्षी हंस को देखा|
उसने सोचा मैं बहुत काला हूँ और हंस इतना सुन्दर इसलिए शायद हंस इस दुनिया का सबसे खुश पक्षी होगा|कौआ हंस के पास गया और बोला तुम दुनिया के सबसे खुश प्राणी हो|हंस बोला – मैं भी यही सोचा करता था कि मैं दुनिया का सबसे खुश पक्षी हूँ जब तक कि मैंने तोते को न देखा था|
तोते को देखने के बाद मुझे लगता है कि तोता ही दुनिया का सबसे खुश पक्षी है क्योंकि तोते के दो खुबसूरत रंग होते है इसलिए वही दुनिया का सबसे खुश पक्षीहोना चाहिए|कौआ तोते के पास गया और बोला – तुम ही इस दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो|तोता ने कहा – मैं पहले बहुत खुश था और सोचा करता था कि मैं ही दुनिया का सबसे खुबसूरत पक्षी हूँ| लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है, मुझे लगता है कि वो ही दुनिया का सबसे खुश पक्षी है क्योंकि उसके कई तरह के रंग है और वह मुझसे भी खुबसूरत है|
कौआ चिड़ियाघर में मोर के पास गया और देखा कि सैकड़ों लोग मोर को देखने के लिए आए है| कौआ मोर के पास गया और बोला – तुम दुनिया के सबसे सुन्दर पक्षी हो और हजारों लोग तुम्हे देखने के लिए आते है इसलिए तुम ही दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो|मोर ने कहा – मैं हमेशा सोचता था कि मैं दुनिया का सबसे खुबसूरत और खुश पक्षी हूँ लेकिनमेरी खूबसूरती के कारण मुझे यहाँ पिंजरे में कैद कर लिया गया है| मैं खुश नहीं हूँ और मैंअब यह चाहता हूँ कि काश मैं भी कौआ होता तो मैं आज आसमान में आजाद उड़ता|
चिड़ियाघर में आनेके बाद मुझे यही लगता है कि कौआ ही सबसे खुश पक्षी होता है|
Moral Of Hindi Story“हम लोगों की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही हो गयी है| हम अपनी तुलना दूसरों से करते रहते है और दूसरों को देखकर हमें लगता है कि वो शायद हम से अधिक खुश है| इस कारणहमदु:खीहो जाते है|हम उनका आनंद नहीं उठा पाते जो हमारे पास पहले से ही और उन वस्तुओं के पीछे भागने लगते है जो हमारे पास नहीं है | और इसी चक्कर में समय निकलता जाता है और बाद में आकर हम सोचते है कि पहले हम अधिक खुश थे| दुनिया में हर व्यक्ति के पासअन्यव्यक्ति से कुछ वस्तुएं अधिक और कुछ कम होगी इसलिए दुनिया में सबसे खुश वहीजो अपने आप से संतुष्ट है|”
Right way..
एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर
किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के
मंदिर जाना है।
टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस
पहलवान आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास के दो सौ रुपये, आप
टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा।वह
व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा।
कुछ देर बाद
पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा –
भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये
लेँगे?टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये।उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो
सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ।टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय,
इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ
मँदिर तो दुसरी तरफ है।उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप
टैक्सी मेँ बैठ गया।इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना
गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरु कर देते हैँ, और फिर अपनी मेहनत औरसमय को
बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैँ।
किसी भी
काम को हाथ मेँ लेनेँ सेपहले पुरी तरह सोच विचार लेवेँ कि क्या जो आप कर
रहे हैँ वो आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीँ।हमेशा एक बात याद रखेँ कि
दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप
कितनी भी मेहनत काकोई लाभ नहीं मिल पायेगा। इसीलिए दिशा तय करेँ और आगे
बढ़ेँ कामयाबी आपके हाथ जरुर थामेगी।
Secret of Happiness
एक समय की बात है, एक गाँव में महान ऋषि रहते थे| लोग
उनके पास अपनी कठिनाईयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे| एक
दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और ऋषि से एक प्रश्न पूछा| उसने ऋषि से
पूछा कि“गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हुईं कि हमेशा खुश रहने काराज़ क्या है
(What is the Secret of Happiness)?”ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल
में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness) बताता हूँ|ऐसा
कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा
सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति
ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|
कुछ
समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता
रहा| लेकिन जबचलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं
गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसेदर्द हो रहा है| तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर
को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी|
तभी
ऋषि ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”|व्यक्ति ने
कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|तो ऋषि ने कहा-जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक
हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें
तो थोडा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो
दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये
रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है
कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर|
अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नही
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