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बहुत पुरानी बात है, एक वन था जिसमें बहुतसारे मेंढक रहते थे| वहाँ एक बहुत बड़ा औरउँचा पेड़ था| एक बार वन के सभी मेंढको की सभा हुई और उन्होनें एक प्रतियोगिता रखी |जिसमें जो मेंढक सबसे जल्दी पेड़ पे चढ़ कर चोटी पर पहुँचेगा उसे वन का राजा चुना जाएगा |अगले दिन सारे वन के मेंढक एक जगह एकत्रित हुए और सभी बारी बारी पेड़ पर चड़ने की तैयारी करने लगे| पर पेड़ उतना बड़ा था कि सारे मेंढक उपर चड़ने से घबरा रहे थे |बारी बारी सभी मेढक उपर चढ़ने लगे लेकिन धीरे धीरे क्या देखते हैं कि सारे मेंढक थक कर चूर होने लगते हैं और कुछ तो थककर वापस नीचे आने लगते हैं | कुछ मेंढक नीचे आकर उपर वालों को आवाज़ लगाते हैं कि वापस आ जाओ क्यूंकी पेड़ की चोटी पर पहुँचना असंभव है |सारे मेंढक नीचे आजाते हैं लेकिन एक छोटा सा मेंढक लगातार उपर चढ़ता जा रहा था | सारे मेढक उसे भी नीचे उतर आने को बोलने लगे लेकिन वह लगता ऊपर चढ़ता गया और छोटी पर पहुँच गया | जब वह नीचे वापस आया तो सबने उससे सफलता का रहस्या पूछना चाहा| वह कुछ भी नहीं बोला भीड़ में से किसी ने बताया कि वह बहरा है |तो मित्रों, यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है जब हम कुछ अच्छा काम करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो बहुत सारे लोग हमें पीछे खींचते हैं | हममें से बहुत सारे धैर्य छोड़ देते हैं लेकिन जो बिना रुके एकाग्रता से आगे बढ़ता है वो अंत में सफल हो जाते हैं| एकाग्रता, समर्पण और आत्मानुशासन के बिना या तो आप असफल हो जायेंगे, या अपने क्षमता से कहीं कम सफलता पा सकेंगे |
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